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आर्य और काली छड़ी का रहस्य-43

    

    अध्याय-15
    काली छड़ी की मौत
    भाग-1
    
    ★★★
    
    बूढ़ी औरत अपनी जगह पर आकर वापस बैठ गई। वहां बैठते हुए उसने कहा “एक बात तो माननी पड़ेगी, तुमने जो सवाल पूछा है वह सच में काफी गंभीर सवाल है। सवाल का जवाब देने से पहले मुझे अपने दिमाग पर जोर डालकर इसके बारे में काफी सोचना पड़ा। काफी सोच समझने के बाद मैं फैसला कर सकी आखिरकार मैं तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब दूंगी।”
    
    यह सुनकर सामने से आर्य ने कहा “वैसे मैंने इस तरह की कोई भी शर्त नहीं रखी थी। विश्वास के लिए जिस बात की शुरुआत की गई थी वह तुम्हारे द्वारा हुई थी। और तुम्ही ने बाद में यह शर्त रखी थी कि मैं अपनी मर्जी का कोई भी सवाल पूछ सकता हूं। ‌ मैंने तो बस वही किया।”
    
    “हां हां...” बूढ़ी औरत ने अपने हां को थोड़ा सा लंबा खींचा। “तुम शातिर हो इस बात में कोई दो राय नहीं है, वरना किसी के भी दिमाग में इस तरह का सवाल नहीं आता। खैर तो अब जवाब सुनो। अगर मैं शैतान की बात मानने से मना कर दूंगी तो इसके बाद दो तरह की चीजों के होने की संभावना है। पहली चीज जो होगी वह यह रहेगी कि मुझ में और शैतान में मुकाबला होगा। लेकिन मैं खुद नहीं लडूंगी, यहां कोई मुझे इस्तेमाल करेगा। और मुझे इस्तेमाल करने वाला इस बात का आदेश दे सकता है कि मैं शैतान को खत्म करने वाले मंत्र का इस्तेमाल करूं। यानी किसी ऐसे मंत्र का इस्तेमाल जिसका तोड़ शैतान के पास ना हो। मेरे पास शैतान के ही दिए गए मंत्र हैं तो मैं उन्हीं में से कोई एक मंत्र का इस्तेमाल उन पर कर दूंगी। फिर इसके बाद क्या होगा इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। ‌अगर शैतान के पास बचने का कोई रास्ता होगा तो वह अपना बचाव कर लेगा, और अगर नहीं होगा तो वह.... तो वह बस खत्म हो जाएगा।”
    
    “मतलब तुम्हारे मंत्र शैतान को खत्म कर सकते हैं..” आर्य कुर्सी पर सहज होते हुए पीछे की ओर हो गया।
    
    “संभावना तो यही कहती है। फिर शैतान को भी मुझसे डर था तभी तो उसने मुझ पर प्रतिबंध लगाया। मुझे इस्तेमाल करने से पहले सौदेबाजी वाली प्रक्रिया का निर्माण किया। ‌इसके बाद कोई भी मुझे शैतान के खिलाफ उसे मारने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता।” 
    
    “जब तक तुम बात मानने से मना ना कर दो।” आर्य ने कहा और फिर थोड़ा आगे झुक गया “लेकिन ऐसा होने वाला नहीं। तुम उनकी पक्की वफादार जो ठहरी.. यह सच है ना?”
    
    “हां। अगर शैतान मुझ पर किसी तरह का प्रतिबंध ना भी लगाते तब भी मैं कभी उनके खिलाफ नहीं जाती। मुझे मेरी वफादारी मुझे इस्तेमाल करने वाले से ज्यादा प्यारी है। मुझे शैतान ने अपने लिए बनाया है, तो मैं तो हमेशा उनके लिए ही रहूंगी।”
    
    “मगर तुम्हें नहीं लगता तुम्हारे शैतान के इरादे गलत है। मतलब इंसानो की दुनिया पर कब्जा करना। दुनिया में रह रहे इंसानों को खत्म करना। या फिर अगर वो उन्हें खत्म नहीं करते हैं तो उन्हें नुकसान तो पहुंचाऐगे ही। यह एक अच्छी बात नहीं है। हमें चीजों को जैसे चल रही है वैसे ही चलते रहने देना चाहिए।”
    
    “हर किसी के सोचने का अपना अपना अलग पैमाना होता है।” सामने से बूढ़ी औरत ने कहा “तुम्हें शैतान के इरादे गलत लगते हैं, क्योंकि तुम्हारे सोचने का पैमाना अलग है। जबकि शैतान को और हमारे बाकी के लोगों को उनके इरादे अच्छे लगते हैं। क्योंकि यह हमारे सोचने का पैमाना अलग है। हम इसे एक अलग नजरिए से देखते हैं।”
    
    आर्य ने गहरी सांस ली। वह बोला “अच्छा तुमने कहा था अगर तुमने शैतान की बात नहीं मानी तो यहां दो तरह की चीजे हो सकती है। इनमें से पहली तो तुमने बता दी। मगर दूसरी कौन सी चीज है।”
    
    “दूसरी चीज में शैतान मुझे मार सकता है। वह यहां मुझे मेरी दुनिया में आकर बड़ी आसानी से खत्म कर सकता है। मैं यहां अपने जादू का इस्तेमाल नहीं कर सकती, फिर शरीर की हालत भी इतनी कमजोर है कि मुझसे प्रतिरोध नहीं हो पाएगा। ऐसे में मुझे खत्म करना शैतान के लिए बाए हाथ की छोटी अंगुली का काम होगा।” बूढ़ी औरत ने बेझिझक कह दिया था।
    
    “यह तो शायद और भी ज्यादा बुरी बात होगी। इससे तुम्हारी बाहरी दुनिया के मंत्र! क्या उन पर कोई प्रभाव पड़ेगा...।”
    
    “हां। मेरी मौत के बाद मेरे सारे मंत्र निष्क्रिय हो जाएंगे। उनका कोई मतलब ही नहीं रहेगा।‌ क्योंकि मेरे मंत्रों का अस्तित्व भी तब तक है जब तक मैं हूं। मैं नहीं तो मेरे मंत्र नहीं।”
    
   आर्य अपने शब्दों को तीर की तरह इस्तेमाल करते हुए बोला “लगता है तुम तो शैतान के लिए बस एक कठपुतली मात्र हो। उसने तुम्हें खतरनाक मंत्रों का मालिक बना रखा है। तुम्हें इतनी शक्ति दे रखी है कि बाहरी दुनिया में तुम्हारा सामना करने वाला कोई नहीं। यहां तक कि खुद शैतान भी तुम्हारे हमलो का जवाब देने का माद्दा नहीं रखता। लेकिन देखो, इसके बावजूद तुम्हारे पास कोई भी ताकत नहीं है। तुम यहां अपने इस दुनिया में किसी का बाल भी बांका नहीं कर सकती। तुम्हारे पास किसी तरह की आजादी को चुनने का भी अधिकार नहीं। ऐसा सिर्फ और सिर्फ किसी तरह की कठपुतली के साथ ही होता है। तुम एक कठपुतली हो।” आर्य ने अपनी उंगली मेज पर ठोकते हुए कहा “वो कठपुतली जिसे शेतान अपने हिसाब से नचाता है...”
    
    यह सुनते ही अचानक बूढ़ी औरत गुस्से से छकपका गई। वह खड़ी होते हुए बोली “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यह कहने की। मैं शैतान के लिए अपनी मर्जी से काम करती हैं। मेरी खुद की इच्छा होती है इसलिए मैं शैतान का साथ देती हूं।”
    
   बुड्ढी औरत के गुस्से के बदले में आर्य ने शांति से कहा “तुम्हारी खुद की इच्छाए शैतान के लिए कोई मायने नहीं रखती। उसने बस तुम्हें अपने इस्तेमाल के लिए बनाया है। वो भी इसलिए ताकि वह किसी भी मुकाबले को जल्दी से जल्दी जीत सके। उसके सामने खड़े दुश्मन के पास इतना मौका ना हो कि वह शैतान का सामना कर सके। इसलिए उसने अपने सारे मंत्र तुम्हें दिए। और तुम चाहे कितनी भी अनदेखी क्यों ना कर लो तुम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकती”
    
    बूढ़ी औरत अपनी जगह पर वापस बैठ गई। आर्य ने सामने से अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा “देखो, तुम्हारे सौदेबाजी वाली एक अलग बात हुई, लेकिन अब मैं तुमसे एक सोदे की बात करता हूं। तुम शैतान का साथ छोड़ दो। उसके गलत इरादों को छोड़ दो। तुम हमारे साथ हो जाओ। और मैं तुमसे वादा करता हूं, अगर तुम हमारा साथ दोगी तो बदले में हम तुम्हें तुम्हारी आजादी देंगे। हम कुछ ऐसा करेंगे कि तुम अपनी इस दुनिया को छोड़कर बाहरी दुनिया में आ जाओगी। बिल्कुल एक आजाद और अपनी मर्जी से जीने वाली औरत की तरह।”
    
    “मैं ऐसा कभी नहीं कर सकती।”‌ बूढ़ी औरत मायूसी के साथ बोली “अगर मेरे मालिक गलत भी है तो मैं उनका साथ नहीं छोड़ सकती। चाहे कुछ भी क्यों ना हो जाए।”
    
    आर्य ने अपने बालों में हाथ फेरा “तुम एक बुरे इंसान का साथ दे रही हो वह भी उसके एक बुरे इरादे में। अगर ऐसा होता है तो शैतान तो हमारे लिए खतरा है ही, तुम भी हमारे लिए खतरा बन जाओगी। तुम्हारे होने मात्र से हम लोगों को लड़ने में समस्या आ जाएगी। शैतान तुम्हारे इस्तेमाल से हमें जल्दी हरा देगा। हमारे हारने के बाद उसे रोकने वाला कोई नहीं होगा। फिर वह दुनिया पर कब्जा करेगा और इंसानों का अस्तित्व हमेशा हमेशा के लिए मिट जाएगा।”
    
    “मुझे इंसानों के भले की नहीं पड़ी। उनके साथ कुछ भी हो इससे मुझे कोई मतलब नहीं। इंसान जिए या मरे... इससे ना तो मुझे फर्क पड़ने वाला... ना मेरे शैतान को... ना ही मेरे बाकी के साथियों को।”
    
    “मगर हमें तो पड़ता है ना...” आर्य अपनी जगह से खड़े होते हुए बोला “हमारा आश्रम इंसानों के लिए खड़ा है। हम इंसानों की भलाई के लिए लड़ते हैं। इंसानों के लिए हमने ना जाने लोगों ने कितने लोगों की जान दे दी।”
    
    “तो मत लड़ो। तुम लोगों को किसने कहा लड़ने के लिए।” बूढ़ी औरत भी अपनी जगह से खड़ी हो गई।
    
    “तुम्हें क्या लगता है हम लोग किसी तरह के फरिश्ते हैं। हम लोग भी तो इंसान हैं। और अगर इंसान एक इंसान के लिए नहीं लड़ेगा तो कौन लड़ेगा।” आर्य मेज के इर्द गिर्द घूमते हुए एक कुर्सी के पास आकर खड़ा हो गया “देखो, मेरी तुम्हारे साथ कोई निजी दुश्मनी नहीं है। लेकिन इसके बावजूद मेरे पास ऐसा कोई कारण नहीं जिसमें मैं तुम्हें बचा सकूं। तुम्हें बचाना हमारे लिए खतरा बनने वाला है, और यह घर में किसी सांप को पालने जैसा होगा। तुमने भी कहा है चाहे कुछ भी हो जाए, तुम शैतान के खिलाफ बगावत नहीं करोगी। जिसके बाद अगर तुम्हें बचाने की कोई आखिरी उम्मीद भी होती है तो उसका कोई अस्तित्व ही नहीं रहता।”
    
    “लेकिन अगर तुमने मुझे खत्म किया तो तुम्हारे अचार्य वर्धन नहीं बचेंगे। यह मत भूलो उन पर मेरा अभिशापित मंतर लगा हुआ है।”
    
    “तुम्ही ने कहा है तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे मंत्र क सी काम के नहीं। तुम मरोगी तो उनका वह मंत्र अपने आप खत्म हो जाएगा। मैं तो इस बारे में भी सोच रहा था की तुम्हारे पास जो थमे हुए वक्त को ठीक करने वाली किताब है उसे चुरा लुं। मगर अब उसे चुराना भी मेरे किसी काम नहीं आने वाला। थमा हुआ वक्त भी तुम्हारे मरने के बाद ठीक हो जाएगा, क्योंकि वह भी तुम्हारे मंत्र की वजह से लागू हुआ है।”
    
    यह सुनकर बूढ़ी औरत पूरी तरह से निशब्द रह गई। उसके पास किसी भी तरह का जवाब नहीं था। उसने ऊपर छत की तरफ देखते हुए कहा “यानी तुम मेरी मौत चाहते हो।” उसका स्वर शांत और ठंडा था। वह आर्य की तरफ मुड़ी “और तुम अपने इंसानों की भलाई के लिए मुझे किसी भी तरह से जिंदा नहीं रखना चाहते।”
    
    आर्य ने मायुसी के साथ हां में सर हिला दिया। “तुम्हारे पास बचने का एक अवसर है। शैतान के बुरे इरादे में साथ मत दो। तुम्हें कुछ नहीं होगा।”
    
    बूढ़ी औरत कुछ नहीं बोली। वह वापिस छत की तरफ देखने लगी। उसने अपने समान्य अंदाज को जारी रखते हुए कहा “तुम कोई साधारण लड़के नहीं हो। मुझे इस बात को तभी समझ जाना चाहिए था जब तुमने मेरे मंत्र का इस्तेमाल मेरे ही खिलाफ किया। तुम जरूर वही लड़की हो जिसके लिए भविष्यवाणी हुई है। भविष्यवाणी में साफ साफ कहा गया है शैतान तुम्हारे हाथों से बच नहीं सकता। शायद आज जब मेरी मौत मेरे सामने खड़ी है, तब मुझे भी इस बात का एहसास हो रहा की..... 'शैतान के अस्तित्व को भयंकर चुनौती मिलने वाली है'। तुम्हारा और शैतान का होने वाला सामना, शैतान के पूरे साम्राज्य को हिलाने वाला है। तुम उसके अंत बनोगे या नहीं, मैं यह बात नहीं जानती, मगर मुकाबला जोरदार होगा।”
    
    इतनी बात कह कर बूढ़ी औरत ने अपने लबादे से वक्त को थाम के रखने वाली किताब निकाल ली। उसने उस किताब को निकाल कर मेज पर रख दिया। फिर वह आर्य से बोली “क्या तुम मरने से पहले मेरी एक आखिरी इच्छा पूरी कर सकते हो...? सिर्फ एक आखरी इच्छा..?”
    
    आर्य को यह सुनकर भारीपन का एहसास हुआ। हालात और वक्त ने उसे एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था जहां उसे ऐसे फैसले लेने पड़ रहे थे जिन्हें लेना सबसे कठिन होता है। कोई भी अपनी जिंदगी में ऐसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना चाहेगा। उसने कहा “हां, बताओ क्या है तुम्हारी आखिरी इच्छा... मैं तुम्हारी आखिरी इच्छा पूरी करूंगा।”
      
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